लिपोमा (शरीर की उभरी हुयी गांठो ) से छुटकारा

लिपोमा (शरीर की उभरी हुयी गांठो ) से छुटकारा पाने के लिए उपाय – यहाँ आप जानेंगे लिपोमा क्या है और क्यों होता है , और इससे कैसे छुटकारा मिले
कभी कभी शरीर में कुछ असामान्य गांठे नजर आने लगती हैं। इनको अगर दबाया जाये तो इनमे किसी प्रकार का दर्द महसूस नहीं होता है। इस बीमारी को लिपोमा के नाम से जाना जाता है।
लिपोमा यानी चर्बी की गांठ यह एक मुलायम वसायुक्त गांठ होती है। यह त्वचा के अंदर विकसित होती है। इस तरह की चर्बी की गांठे त्वचा में किसी भी जगह हो सकती हैं जहां वसा कोशिकाएं हो, लेकिन यह सामान्यतः कंधे, गर्दन, छाती, बाहों और पीठ में ज्यादा पाए जाते हैं। इनका आकर मटर के दाने से लेकर कुछ सेंटीमीटर तक हो सकता है और यह धीरे-धीरे विकसित होती हैं। कई बार यह अंदरूनी अंगों , हड्डियों और मांसपेशियों में भी बन सकती हैं। लिपोमा त्वचा के नीचे मुलायम सी नजर आने वाली गांठ होती है जब आप इसे दबाते हैं तो यह बहुत कड़क महसूस नहीं होती और आराम से दब जाती है कुछ लोगों को बड़ा लिपोमा भी होता है जो 10 सेंटीमीटर बड़ा हो सकता है।
गांठ तीन तरह की होती हैं फैटी टिशु ( लिपोमा), कैंसर गांठ व कोशिकाओं का स्वत: बढ़ना।
लिपोमा शरीर पर नजर आने वाली छोटी बड़ी व मुलायम गांठ होती हैं जो कि नॉन- कैंसर रस होती हैं, यानी यह कभी कैंसर नहीं बनते हैं।
लेकिन जब गांठ नसों पर उभर आए तो इन में दर्द होने लगता है। वही शरीर पर कोई गांठ ऐसी बनी हो जो दर्द नहीं कर रही है और ठोस है तो वह गांठ कैंसर की भी हो सकती है
लिपोमा के कारण–
लिपोमा के स्पष्ट कारणों का पता अभी तक नहीं चला है, लेकिन 2 मुख्य कारणों से यह समस्या सामने आती है
(1) आनुवंशिक– कुछ लोगों में यह अपने माता-पिता और जीन की वजह से होता है इसको फैमिलियल मल्टीपल लिपोमेटोसिस कहा जाता है।
(2) मोटापा– यदि किसी व्यक्ति में मोटापा अधिक होता है तब चर्बी वाली कोशिकाएं शरीर के विभिन्न हिस्सों में एकत्रित होकर धीरे-धीरे गांठ का रूप ले लेती हैं।
इसके अलावा जो लोग अधिक फास्ट फूड, डीप फ्रीजर में रखा भोजन, मिठाई, नमकीन, बटर, घी आदि चीजें और या फिर इनके साथ कोल्ड्रिंक अधिक पीते हैं, उनमें इस तरह की गांठ बनने की आशंका अधिक होती है।
लिपोमा का उपचार
आयुर्वेद में जड़ी बूटियों और औषधियों का खजाना है, जिससे सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिल सकती है। लिपोमा को जड़ से खत्म करना इतना आसान नहीं होता है परन्तु यदि सही जीवनशैली ,स्वस्थ भोजन, योगा आदि अपनाया जाये तो लिपोमा से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा आयुर्वेद में ऐसी बहुत सारी जड़ीबूटियां है जिनका यदि सही प्रकार से नियमित उपयोग किया जाये, तब भी आप इस बीमारी से राहत पा सकते हैं।
आज हम आपको ऐसी ही कुछ जड़ीबूटियों के बारे में बताएँगे। यदि आप इनको अपने जीवन में शामिल करते है तो सम्भवतः आप इस बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं।
लिपोमा से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेद में वर्णित जड़ीबूटियां :
(1) दारूहल्दी– दारू हल्दी बहुत ही उत्तम जड़ी बूटी है। इसमें एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो वसा कोशिकाओं को एकत्रित होने से रोकता है और रक्त विकार को दूर करता है
(2) पुनर्नवा– पुनर्नवा शरीर को डिटॉक्स करता है खून की गंदगी को खत्म करता है शरीर के किसी भी हिस्से की गांठ को गला देता है।
(3) बाला– इसे Khereihati भी कहते हैं। यह जड़ी बूटी वाजी कारक एवं एवं पौष्टिक गुणों से भरपूर है। यह वात रक्त, पित्त रक्त विकार को दूर करता है वसा कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है।
(4) हरड़– हरड़ में मौजूद योगिक फैट कम करने वाले गुणों के लिए जाना जाता है यह फैट और कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करता है। यह लिपोमा फैट सेल्स की वृद्धि को रोकता है।
(5) बहेड़ा– बहेड़ा में रेचक गुण पाया जाता है, जो आमाशय को शक्ति देता है, जिससे पाचन में मदद मिलती है। सही पाचन के चलते वसा कोशिकाएं अधिक मात्रा में नहीं बनती हैं।
(6) आंवला– इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है जो रक्त विकार को दूर करने में काफी मददगार होता है। इससे पाचन शक्ति बढ़ती है, जो अतिरिक्त वसा को नियंत्रित करती है।
(7) अशोका– इसमें हाइपोग्लाइसेमिक गुण पाए जाते हैं, जो रक्त में शर्करा के स्तर को कम करता है और इसके बैक्टीरियल गुण शरीर के अंदरूनी और बाहरी संक्रमण को रोकते हैं।
(8) मंजिष्ठा– यह वात पित्त को कम करता है। रक्त विकारों को दूर करता है। बदहजमी को कम कर पाचन में मदद करता है जिससे वसा कोशिकाएं कम बनती हैं।
(9) कांचनार– कचनार में अग्नि सक्रिय करने वाले पदार्थ यानी ऐसे यौगिक होते हैं जो पाचक रसों को उत्तेजित करते हैं। शरीर को डेटॉक्स करती है। शरीर के किसी भी हिस्से में बनी लिपोमा को गला देता है।
(10) नागकेसर– यह आम पाचक, वर्ण-रोप तथा संधान कारक होता है इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो पाचन क्रिया को बढ़ाता है, जिससे वसा कोशिकाएं कम बनती है जिससे लिपोमा को रोकने में मदद मिलती है
इसी प्रकार पुत्रकजीवा, अश्वगंधा ,शतावरी और लोधर भी वसा कोशिकाओं को एकत्रित होने से रोकती हैं।
शाही लैबोरेट्रीज ने इन सभी जड़ीबूटियों के एक उचित मिश्रण से लिपोशा सिरप तैयार किया है। लिपोशा सिरप आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का एक आदर्श संयोजन है जो लिपोमा के आकार को कम करने और हटाने में मदद करता है। यह गांठों को हटाकर बढ़े हुए त्वचा क्षेत्र को पतला करने में मदद करता है।
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